- संगठन और योजना: मातृगया विधि के आयोजन के लिए पहले से ही अच्छी तरह से योजना बनाना महत्वपूर्ण है। इसमें किसी भी आवश्यक सामग्री का व्यवस्थित करना और संगठन करना शामिल होता है।
- सामग्री का तैयारी: मातृगया विधि में उपयोग होने वाले सामग्री की तैयारी करनी होती है, जैसे कि धार्मिक पुस्तकें, फूल, धूप, चादर, और पूजनीय पदार्थ।
- पुण्याहवाचन और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन: मातृगया विधि के अनुसार पुण्याहवाचन और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना भी जरूरी है।
- धार्मिक ब्राह्मण की आमंत्रण: अनुष्ठान के लिए एक धार्मिक ब्राह्मण को आमंत्रित करना महत्वपूर्ण है जो अनुष्ठान को संचालित करेगा।
- संगीत और भजन: धार्मिक सांगीत और भजनों की तैयारी भी की जाती है, जो अनुष्ठान के माहौल को प्रशंसाग्रही बनाते हैं।
- यज्ञाग्नि का आवाहन: मातृगया विधि के अनुसार, यज्ञाग्नि का आवाहन भी किया जाता है, जिसके लिए एक प्रकार की साधना की जाती है।
- विशेष प्रसाद तैयार करना: अनुष्ठान के बाद, विशेष प्रसाद की तैयारी भी की जाती है, जो परिवार के सभी सदस्यों के बीच बाँटा जाता है।
इन सभी तैयारियों के बाद, मातृगया विधि को सम्पन्न किया जा सकता है,